उन हसीन दिनों की बात ही कुच और थी
जब तुम्हारे ज़ुल्फ़ों की खुशबू मे खोया रेहता था.
रात भर जागे और दिन मे सोया रेहता था.
घम मे हसी और खुशियों में रोया करता था.
तुम्हारी एक हँसी से दिन खिल उठता था.
तुम्हारी मीठी बातों से कानों को मानो ताज़गी सी मिलती थी.
बस तुम्हारी ही ज़रूरत थी ज़िंदगी को.
फिर एक ऐसा मोड़ लिया ज़िंदगी ने
जब तुम्हारी आदत सी लग गयी थी ज़िंदगी को और तुम चली गई
मानो ज़िंदगी की सारी खुशियाँ चली गई
एक लफ़्ज़ भी नहीं बोला तुमने
ना गलती पता चलने का वक़्त दिया ना सुधारनेका.
उस रात बड़ी दर्द भरी थी.
मानो रूह से कुच अपनी बिछड़ गई हो.
उस दिन दिल हमारा हो गया पथ्थर.
टूट गया भरोसे की उम्मीद.
शायद आपको हमारे प्यार की कदर थी ही नहीं.
गलती आपकी नहीं हमारी थी.
हमारा जज़्बात ही हमारा दुश्मन निकला.
वोह दिन है और आज है
हमारा जज़्बात ही हमारा दुश्मन रहा है अब तक.
सच्चा प्यार पाने की तलाश में थे हम कुछ सालों से अब .
लगता है खुदा ने हमें इस दुनिया में
प्यार पाने नहीं बांटने भेजा है.
आज भी बाँटते है हम प्यार
फिर भी हमें नफरत की नज़र से देखते है कहीं लोग.
लगता है हम कही गलत है अब भी
या हमारा चेहरा ही नफरत का आईना है.
इतना दर्द दिया है ज़िन्दगी ने
इसके बावजूद इस पगले ने की है एक जुर्रत
प्यार पाने की छोटी सी उम्मीद के साथ
फिर ले आया दिल लेके…..
Ufff…. So true 😅
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Long time ah 😊……
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Yeah actually up with other stuff so didn’t check the wordpress 😅
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Sorry for delay but actually worth reading
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